आज बहुत याद आ रही है पापा आपकी...ये याद भी रोज़-रोज़ परेशान करती है, लेकिन आज तो पता नहीं इसने हद ही कर रखी है | पहले तो रोने पे भी सौ पहरे थे, लेकिन अब? ये याद सब जानती है, तभी तो और ज्यादा मचलती जाती है| आप होते फिर बताता इसे, लेकिन अब| मैंने अपनी भरी आँखें रख दीं हैं आकाश में..अबके बारिशों का पानी शायद नमकीन हो जाए..!!
कितना कुछ सिखाया आप ने, बल्कि सब कुछ आपकी और मम्मी की ही नेमत है... लेकिन अभी तो बहुत कुछ सीखना बाकी था| ख़ासकर दुनियादारी| आपने ही तो पेन चलाना सिखाया था, जिसकी वजह से आज लिख पा रहा हूँ, और आज आपकी ही कलम खामोश है| आपने ही बताया कि दूसरो कि मदद करो बिना किसी उम्मीद के| कभी हार मत मानो, यह कहते कहते खुद कैसे हार मान गए? अभी तो बहुत कुछ बाकी था|
बहुत कुछ पूछना अब भी बाकी था जैसे आपका बार बार ये गाना कि "हमने उदासियों में गुज़ारी है ज़िन्दगी...|" कभी मौका ही नहीं मिला पूछने का| कभी दिमाग में आता तो सोचता कि बताने से मना कर दोगे| और अब...अब सोचता हूँ कि पूछ लेता| बहुत सी बातें करनी थी, बोल भी तो नहीं पाया था आखिर में मैं|
हाँ, कभी वक़्त मिले पापा तो सपने में ज़रूर आना, बहुत कुछ बोलना-सुनना है आपसे...|