"दिल की वादी में चाहत का मौसम है और यादों की डालियों पर अनगिनत बीते लम्हों की कलियाँ महकने लगी है | अनकही-अनसुनी आरज़ू, आधी सोयी हुई, आधी जागी हुई...आँखें मूँद के देखती है...ज़िन्दगी | ज़िन्दगी जिसके पहलु में मोहब्बत भी है, तो हसरत भी है, पास आना भी है, दूर जाना भी है | वक़्त बहता है झरने सा यह कहता हुआ ... दिल की वादी में चाहत का मौसम है ......."
आज फिर इस चाहत को गुलज़ार कर रहा हूँ गुलज़ार के साथ...
"याद है इक दिन...
मेरे मेज़ पे बैठे-बैठे
सिगरेट की डिबिया पे तुम ने
छोटे से इक पौधे का
एक स्केच बनाया था
आ कर देखो-
उस पौधे पर फूल आया है !!'
Gulzar will come back again...
wait for next posts...Bbye for now !
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Thursday, February 11, 2010
Wednesday, November 11, 2009
मेरा खुदा ...
मैंने ख़ुदा को किश्तों पे खरीदा था
किश्तों पे खरीदे हुए ख़ुदा
उस वक़्त तक दुआएं पूरी नहीं करते
जब तक सारी किश्तें अदा न हो जायें |
एक बार मैं ख़ुदा कि किश्त वक़्त पर अदा न कर सका
ख़ुदा को मेरे पास से उठा कर ले जाया गया
जो लोग मुझे जानते थे
उन्हें पता चल गया
अब न मेरे पास ख़ुदा है
न क़बूल होने वाली दुआएं
और
मेरे लिए ख़ुदा फ़र्ज़ कर लेने का मौका भी जाता रहा |
किश्तों पे खरीदे हुए ख़ुदा
उस वक़्त तक दुआएं पूरी नहीं करते
जब तक सारी किश्तें अदा न हो जायें |
एक बार मैं ख़ुदा कि किश्त वक़्त पर अदा न कर सका
ख़ुदा को मेरे पास से उठा कर ले जाया गया
जो लोग मुझे जानते थे
उन्हें पता चल गया
अब न मेरे पास ख़ुदा है
न क़बूल होने वाली दुआएं
और
मेरे लिए ख़ुदा फ़र्ज़ कर लेने का मौका भी जाता रहा |
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