Saturday, November 14, 2009

'ज़िन्दगी, शुक्रिया !'

"आ ! कि दिल कि उदास दुनिया में
 यास के अब्र छाए जाते हैं,
 आ ! कि यह रात ढलती जाती है
 कई दरख्त छूटते जाते हैं |"

आज एक बार फिर से दिमाग के बवंडर ने आ घेरा है | सुबह बस होने को ही है, लेकिन यह दिमाग अब भी सोना नहीं चाहता | अब तो वक़्त-बेवक़्त होने कि आदत सी हो गयी है | कोई हसीन-सा नुक्ता दिन में तो मेरे शब्दकोष को विराम दे देता है, लेकिन रात में तो किसी का कोई ज़ोर नहीं | यह कोई वक़्त नहीं है अपनी जिजीविषा को धरा पे अवतरित करने का, लेकिन जब कलम खुद-ब-खुद चलना चाहे तो क्या किया जा सकता है ?

किसी की दार्शनिकता का कोई पैमाना नहीं होता | दार्शनिकता तो ज़िन्दगी को हूबहू मस्तिष्क के कैनवास पर उकेरती है | ज़िन्दगी, ज़िन्दगी है तो प्रेम है और प्रेम से ही यादों का समुच्चय है | एक लक्ष्य, प्यार  और एक स्वप्न आपके शरीर पर ही नहीं, आपके पूरे जीवन पर नियंत्रण करने की शक्ति देते हैं |

हर गुज़रता लम्हा जीवन है | इसे महसूस करें और जीवन का आभार मानें | यह चलती रहती है, क्योंकि यह नृत्य है , एक हास्य है, एक लय-एक संगीत है, एक अविराम अटूट  उत्सव है, एक निरंतर महारास है  | यह पल-पल हमें बताती है कि मैं नवोन्मेष हूँ नए मनुष्य की,  नयी मनुष्यता की | इस ज़िन्दगी से प्रेम करो | यहीं से प्रेम का उदय होता है |

"किरण-किरण बिखरती है, तो उजाले फैलते है,
किरण-किरण जुड़ती है, तो उजाले बनते है,
रोशनी कतरों में समाई है और हर कतरा
अपने हिस्से की रोशनी लेकर आता है |"

हर कोई चाहता है की उसका प्रेम सुन्दर हो, उसकी ज़िन्दगी सुन्दर हो | अपने प्यार को खूबसूरत देखने की चाह किसकी नहीं होती लेकिन सुन्दरता किसी प्रेम की अनिवार्यता नहीं होती, वह तो खुद हर खूबसूरती से खूबसूरत होता है |

कोई प्रेम के लिए पूरी ज़िन्दगी भटकता रहता है, यह भी नहीं जानता की उसका प्रेम उसके ही सामीप्य में है, उसकी ज़िन्दगी | अगर भटकना ही है तो इस तरह भटको की भटकन ही आनंद की मंजिल बन जाए | भटकते-भटकते उसके पास बस यादें रह जाती हैं | यादें स्वयं को विश्वास दिलाने का तरीका है की आप विशिष्ट हैं | आपको भी प्रेम करने वाले हैं और आप उनमें से नहीं है जिनकी किसी को परवाह न हो |

यादें समुद्र के छोर पर उसकी लहरों से लगातार गीले होते शंख की तरह होती हैं, जिसमें समुद्र की सारी ठंडक, उन्माद, उल्लास, नवीनता, क्षणभंगुरता, प्रयास, अभ्यास, क्षमता और विविधता छिपी होती है |

इन यादों को खुद में समेट लो, कल के लिए, क्योंकि यही एक तुम्हारा ख़जाना होगा इस भीड़ की कंगाली में .....

No comments:

Post a Comment