जब किसी की आँखें तुम्हारे लिए आतुरता से भरती हैं,
कोई आँख तुम्हें ऐसे देखती है कि तुम पर सब न्यौछावर कर दे,
किसी आँख में तुम ऐसी झलक देखते हो कि...
तुम्हारे बिना उस आँख के भीतर छिपा हुआ जीवन वीरान हो जायेगा
सिर्फ वीरानी...
तुम ही हरियाली हो, तुम ही हो वर्षा के मेघ,
तुम्हारे बिना सब फूल सूख जायेंगे,
तुम्हारे बिना बस....
बस...
रेगिस्तान रह जायेगा....
जब किसी कि आँख में तुम जीवन कि ऐसी गरिमा देखते हो,
तब पहली बार तुम्हें पता चलता है कि तुम, हाँ तुम...
सार्थक हो; सप्रयोजन हो ...!!!
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