Love you Gulzar... :)
और अचानक ...
तेज हवा के झोंके ने कमरे में आकर
हलचल कर दी ...
पर्दे ने लहरा के मेज़ पे रखी ढेर-सी कांच की
चीज़ें उलटी कर दी ...
फडफड करके इक किताब ने जल्दी से मुंह
ढांप लिया ...
इक दवात ने गोता खा के,
सामने रखे जितने कोरे कागज़ थे सबको रंग दिया
दीवारों पे लटकी तस्वीरों ने भी हैरत से
गर्दन तिरछी करके देखा तुमको...
फिर से आना ऐसे ही तुम
और भर जाना रंग फिर से इस कमरे में !
- गुलज़ार
No comments:
Post a Comment